जिलाधीश डा मुनीश नागपाल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए धान की पराली के जलाने पर रोक लगा दी है।
जिलाधीश द्वारा जारी किए गए आदेशों में कहा गया है कि किसानों द्वारा खुले खेतों में धान की पराली को जलाने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खुले खेतों में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं से उच्च स्तर का प्रदूषण भी होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के जहरीले प्रदूषक होते हैं, जो सभी प्रकार के जीवों के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रदूषण को रोकने के लिए उपरोक्त आदेश जारी किए गए हैं। यह आदेश तत्काल प्रभाव में आ गए हैं।
धान की पराली पशु चारे के लिए अच्छा विकल्प
उपायुक्त ने कहा है कि धान की पराली पशु चारे के लिए एक अच्छा विकल्प है। उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे जिला में स्थित गौशालाओं के प्रबंधकों / प्रधानों के साथ मिलकर धान की पराली के उचित प्रबंधन के लिए कार्य करें। विभाग के अधिकारियों के साथ गौशाला प्रबंधकों की बैठक में आश्वासन दिया गया कि वे खरीफ 2025 में धान की पराली में आगजनी रोकने के लिए गौशाला में सूखे चारे की पूर्ति के लिए अधिक से अधिक पराली एकत्रित करेंगे।
जिला की गौशालाएं ज्यादा से ज्यादा धान की पराली को पशु चारे के लिए एकत्रित करने का काम करें। सभी गौशाला प्रबंधकों ने धान की पराली को पशु चारे के लिए उठाने में हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। ऐसा करने से एक और जहां पराली जलाने पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी गौशालाओं में रखे जा रहे पशुओं को चारे की पूर्ति भी हो सकेगी।
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