पूर्व राष्ट्रपति देश में मिसाइल मैन के नाम से विख्यात डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि अवसर पर स्थानीय आर्यन कोचिंग सेंटर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई। आयोजन की अध्यक्षत सेंटर संचालक मास्टर रविंद्र सांगवान ने की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भिवानी नगर से लाल बहादुर ने शिरकत की। स्टाफ द्वारा उनका स्वागत किया गया। उन्होने विद्यार्थियों को हमेशा महापुरूषों के दिखाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक हैं। वह एक राष्ट्रपति, एक वैज्ञानिक और एक प्रेरणा के रूप में सभी के प्रिय हैं। कलाम एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे, जिनका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान अविश्वसनीय है। वह भारत के लाखों बच्चों को कड़ी मेहनत करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं। वह वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और उन्होंने अगले पांच वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। वे एक महान वैज्ञानिक और इंजीनियर थे, जिन्होंने भारत को एक मजबूत मिसाइल कार्यक्रम विकसित करने में मदद की। उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के रूप में जाना जाता है।
कलाम ने भारत को कई मिसाइलों, जैसे कि अग्नि और पृथ्वी का विकास करने में मदद की। उन्होंने भारत को अंतरिक्ष में भी एक प्रमुख शक्ति बनाने में मदद की। कलाम एक प्रेरणादायक व्यक्ति थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। वे एक महान देशभक्त थे और उन्होंने हमेशा भारत को एक बेहतर देश बनाने के लिए काम किया।
सेंटर संचालक मास्टर रविंद्र सांगवान ने कहा कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने में बड़ा योगदान दिया था। देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें देने का श्रेय उन्हें ही जाता है। वह एक शानदार वैज्ञानिक होने के साथ साथ एक कुशल इंजीनियर भी थे। वे युवा इंजीनियर्स के लिए एक पथ प्रदर्शक और प्रेरणा स्रोत थे। उन्होंने अपने नेतृत्व में भारत के लिए कई इंजीनियर और वैज्ञानिक तैयार किए।
अब्दुल कलाम बेहद सादगी से जीवन जीने वाले व्यक्ति थे अनुशासन और दैनिक रूप से पढ़ना इनके दिनचर्या में था कलाम बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें सदा विज्ञान का जीवन में महत्व बताते थे देश का राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे सदा आमजन के लिए खुले रहते थे कई पत्रों का जवाब तो स्वयं अपने हाथों से लिख कर देते थे कलाम के विद्यार्थियों के प्रति प्रेम आत्यंतिक गहरा था वह चाहते थे कि हमारे देश का प्रत्येक बच्चा तथा युवा पढ़ लिखकर देश के लिए सकारात्मक योगदान दें
इस अवसर पर जे.पी.वर्मा, बालकिसन शर्मा, मंजीत मांढी, अभिषेक रूदड़ोल, पूजा, रानी सहित समस्त स्टाफ उपस्थित था।
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